भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मधुऋतु का देय /राम शरण शर्मा 'मुंशी'
Kavita Kosh से
इस पार
उस पार
एक ही कगार
इस पार
उस पार
आर-पार धार
इस पार
उस पार
धार औ’ कगार
इस पार
उस पार
प्यार, प्यार, प्यार !