मन डोलय रे मांघ फगुनवा / लक्ष्मण मस्तुरिया
कोन लंग गोरी लुकाये रे सुन्ना हे पारा
गोरी के ददा ससुर लागे भईया मोर सारा
गोरी के आंखी गोटारन के बांटी
गोरी के कनिहा सनड़ेवा के काड़ी
गोरी ल देखे बिना जीव ले टूटत हे आसा
कोन लंग गोरी लुकाये रे सुन्ना हे पारा
गोरी के ददा ससुर लागे भईया मोर सारा
बईहा सहीं आंय बांय बकत हो काबर
ये तो होली के तिहर गा
ये तो फागुन ए मया के तिहार ए
रंग गुलाल उड़ाओ अर पगला
अरे हां रे यारो आगे फागुन रंग भरके
अरे आगे फागुन रंग भरके
अब जवानी के उड़त थे गुलाल होरे
मन डोलय रे मांघ फगुनवा
रस घोलय रे मांघ फगुनवा
राजा बरोबर लगे मौर आमा
रानी सही परसा फुलवा
मन डोलय रे मांघ फगुनवा
रस घोलय रे मांघ फगुनवा
पीपर उलहोवय अऊ डूमर गुलोवय
गरती तेन्दू चार मौउहा लुभोवय
मेला मड़ाई गंजागे झमाझम
चलय रे टुरी अउ घुलवा
मन डोलय रे मांघ फगुनवा
रस घोलय रे मांघ फगुनवा
पुरवईया आवय गरोड़ा उड़ोवे
छांव आंवय जांवय लजावय मुंह खोलय
गांव गूंजे गमके अमरईया
कुके रे कारी कोयलिया
मन डोलय रे मांघ फगुनवा
रस घोलय रे मांघ फगुनवा
बिहाव पठोनी के लगिन धरागे
संगी जहुंरिया मया मा बंधागे
गावत बखानत चलेगा सियानिन
गांजा गूंजी संग बरतिहा
मन डोलय रे मांघ फगुनवा
रस घोलय रे मांघ फगुनवा
फागुन के रंग झरय पिचकारी
लाली गुलाली होगे संगवारी
चौंरा चौंरा मा धरके नंगाड़ा
खारेखार म ददरिया
मन डोलय रे मांघ फगुनवा
हो रस घोलय रे मांघ फगुनवा