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मन ने याद किया है / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
आ भी जाओ आ भी जाओ मन ने याद किया है।
इक मनभावन छवि को फिर दर्पण ने याद किया है।
याद तुम्हारी आई है अब
तुमको आना होगा।
मेरे जीवन के पल-पल को
फिर महकाना होगा।
इसीलिए ख़ुशबू को फिर चन्दन ने याद किया है।
आ भी जाओ आ भी जाओ मन ने याद किया है।
कबसे आस लगाये बैठा
लेकर रीती गागर।
तुम चाहो तो गागर में ही
भर जायेगा सागर।
इसीलिए बरखा को फिर सावन ने याद किया है।
आ भी जाओ आ भी जाओ मन ने याद किया है।
बिना तुम्हारे हो सकता हूँ
मैं न कभी भी पूरा।
नाम तुम्हारा लिए बिना है
मेरा नाम अधूरा।
इसीलिए राधा को फिर मोहन ने याद किया है।
आ भी जाओ आ भी जाओ मन ने याद किया है।