भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मनभावन गीत लिखें कैसे / अभिषेक औदिच्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो पग पग पर हारा हो वो, जीत लिखे कैसे,
बोलो सावन के मनभावन गीत लिखे कैसे?

उसकी पाती प्रियतम द्वारे, जाकर लौट गई,
जैसे कोई बंजारन है गाकर लौट गई।
सावन की पहली तिथि पर जिसका अलगाव हुआ

वो अपने गीतों में बोलो, प्रीत लिखे कैसे।
बोलो सावन के मनभावन गीत लिखे कैसे।

आंधी के बहकावे में ये बादल भाग गये,
हम तलवों में लिए लपेटे घर तक आग गये।
बारिश में हम जब-जब भीगे ज्वर ने घेर लिया,

जिसकी किस्मत ताप भरी हो, शीत लिखे कैसे।
बोलो सावन के मनभावन गीत लिखे कैसे।

वाल्मीकि की कुटिया में ज्यों वर्षों तक सीता,
मेरे सावन का दिन-दिन ही वैसा ही बीता।
जिसके खातिर वन-वन भटकी उसने त्याग दिया,

जो दर्पण का दुत्कारा हो, मीत लिखे कैसे।
बोलो सावन के मनभावन गीत लिखे कैसे।