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ममेदम / भवानीप्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
मेरे चलने से
हुए हो तुम
पथ
और
रथ हुए हो तुम
मेरे रथी होने से
रात बनोगे तुम
मेरे सोने से
और प्रभात मेरे जागने से !