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मरकट बरघैं / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
Kavita Kosh से
देखै में लागै छै मरकट बरघैं
भुंजा खाय छै धरपट बरघैं
नै खाय छै फोल फलेरी
पैसा बचाय में छै हरकट बरघैं
देखै में लागै मरकट बरघैं।
अछैतें अनाज नै खैभैं तोंय
पानी पीवी के सहभै तोंय
सुम्हौं के ओन सूंड़ा के भागें
फोकै ल‘ मारै छैै दरबट बरघैं
देखै में लागै मरकट बरघैं।
मेला-ठेला में घूमी-घमी
सामान देखै छै छूबी-छूबी
मिठाय के भाव पूछने बढ़लै
खायो ले करै छै छटपट बरघैं
देखै में लागै मरकट बरघैं।
पौर सिलैलें एगो अंगा
नै बचलो छौ वाहो चंगा
मैल आरो मांटी से भरलो
लागौ एकदम खरकट बरघैं
देखै में लागै मरकट बरघैं।
कहाँ से मिलतौ देही में ताकत
छोड़भें नै जों आपनों आदत
कुच्छू पैसा बचैनें छेल्है
भेलो बेमारी में परपट बरघैं
देखै में लागै मरकट बरघैं।