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महक से रिश्ता / अमरजीत कौंके
Kavita Kosh से
सड़क पर जा रहे थे
लोग कुछ
कन्धों पर अर्थी टिकाए
विलाप करती औरतें सफेद दुपट्टे लिए
और शोकाकुल चेहरों के संग
कुछ आदमी
लिए जा रहे थे अर्थी
अपनी अंतिम यात्रा पर
जा रहा था आदमी
दूध से सफेद कफ़न पर
टिके थे कुछेक फूलों के हार
अचानक कन्धा बदलते समय
एक हार फिसला और गिरने लगा
तो एक शोकाकुल चेहरे ने संभाला उसे
और फिर सजा दिया
दूध से सफेद कफ़न पर
मुझे लगा कि यही
बिलकुल यही है आदमी
जो दुख के गहरे
सागर में डूब कर भी
तोड़ता नहीं
महक से रिश्ता।