महके हैं दिलों में फूल सनम / देवमणि पांडेय
महके हैं दिलों में फूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।
हम भी तो करें कुछ भूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।
बादल की सुनी जब सरगोशी
बहके हैं क़दम पुरवाई के
बूंदों ने छुआ जब शाख़ों को
झोंके महके अमराई के
टूटे हैं सभी के उसूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।
महके हैं दिलों में फूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।
यादों का मिला जब सिरहाना
बोझिल पलकों के साए हैं
मीठी सी हवा ने दस्तक दी
सजनी कॊ लगा वॊ आए हैं
चुभते हैं जिया में शूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।
महके हैं दिलों में फूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।
यह चाँद पुराना आशिक़ है
दिखता है कभी छिप जाता है
छेड़े है कभी ये बिजुरी को
बदरी से कभी बतियाता है
यह इश्क़ नहीं है फ़िज़ूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।
महके हैं दिलों में फूल सनम बारिश के सुहाने मौसम में।