महानायक की प्रतीक्षा / रंजना मिश्र
ऐसी चर्चा है कि महानायक आएँगे
प्राचीन ग्रंथों ने किया था इंगित
किस कालखंड में किस दिशा से कैसी धज के साथ
महानायक आएँगे
वे लाएँगे अपने साथ खीझ खाँसी खुजली बुख़ार
और किसी सुंदर दुनिया का बेजोड़ नुस्ख़ा
अपने लबादे में छिपाए
वे चमत्कृत कर देंगे हमें
चमत्कार पसंद है हमें और हममें धैर्य है
हम सुलझे हुए लोग हैं
जिन्हें विश्वास करना आता है
उत्सव हमें आनंदित करते हैं
हमने नायिकाओं के कमर के बल पर उत्सव मनाया
और उनकी मौत पर भी
लुटेरों को तो हमने हार भी पहनाए
आख़िर वे अकूत संपत्ति के मालिक थे
हम आनंद की प्रतीक्षा में हैं
हम सवाल नहीं करते
हम बेख़बर हैं उन सवालों से भी
जो वे अपने साथ लाएँगे
हम नहीं होंगे असंयत न चीख़ेंगे न शिकायत करेंगे
सदियों पुरानी आँखों से देखेंगे
हर नया करतब
और हर बार नई आशा पालेंगे
हम मनाएँगे उत्सव
अपनी सबसे सुंदर पोशाकों में
हाथों में हार और कंठ में उत्सव का गान लिए
प्रतीक्षारत बार बार हम उस दिशा को देखते हैं
जहाँ से महानायक आएँगे
मुक्त करेंगे हमें
और दुनिया होगी 'एंड दे लिव्ड हैप्पीली एवर आफ़्टर' का नवीनतम वर्ज़न
पर देखो न हर बार वहाँ से कुछ विचित्र आवाज़ें आती हैं
कई बार तो चेहरे भी दिखते हैं
वे भाटों, विदूषकों और ओझाओं के हैं
वे मूर्खों और दलालों के हैं
वे ही महानायक हैं इस समय के
हम अपने अपने स्वागत भाषण लिए
लौट चलते हैं अपने घरों की ओर
कल फिर किसी उत्सव को आतुर हम
करेंगे फिर किसी महानायक का इंतज़ार
तब तक के लिए हमारे पास है
हमारे उत्सव
और पुराना बासी अख़बार।