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मा (दोय) / राजेन्द्र जोशी

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कूड़ो है औ संसार
इण माथै पाप री छियां है।

अबोट अर अछूती है
इण धरती माथै
म्हारी मा री छियां।

घणी अळगी है
पापी समाज रै चकारियै सूं
छळी-कपटी नीं आय सकै
म्हारी मा री छियां रै पसवाड़ै।

सुरग-सो दरसाव
जद मा घर मांय बिराजै
मा जद नीसरै घर सूं
घर खाली लखावै
घर, घर नीं रैवै
भाटां रो ढीगो लागै घर।