भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ / सरोज कुमार
Kavita Kosh से
माँ, जिसने मुझे जन्म दिया
मेरे लिए
जरूरत बेजरूरत
मरने को भी तैयार हो
जाएगी
बिना एक पल खोए!
पिता नहीं!
मै कृति हूँ माँ की
ऐसी चित्र-कृति
जिसमे उँड़ेल दिए थे उसने
अपने सारे रंग
सारी साँसे, सारे सपने!
पिता तो बस
ईजल रखकर जा चुका था!