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माँ का सन्देश / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अनुराधा सिंह
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आज यह जान लो मेरे बच्चे!
जीवन मेरे लिए कभी
शीशे की सीढ़ी-सा सुन्दर और चमकीला नहीं रहा
नुकीली कीलें थीं
ख़ौफ़नाक ख़पच्चियाँ
फटे उखड़े तख़्ते
नहीं बिछे थे आरामदेह कालीन
पाँवों तले थी नंगी निर्मम ज़मीन
लेकिन उस पूरे समय
यह उत्कर्ष ही था
ऊंचा चढ़ने का प्रयास
था घुप्प अंधेरे में चलने जैसा
रोशनी की एक किरण के लिए तरसने जैसा
मेरे बच्चे! हो सकता है तुम्हें कठिन लगे
लेकिन वापस मत लौटना
मत उतर जाना इन दुष्कर सीढ़ियों से नीचे
मत गिरना
क्योंकि देखो मैं अब भी चल रही हूँ
मेरे लाल! अब भी चढ़ रही हूँ शिखर की ओर
बस याद रखना, जीवन मेरे लिए भी नहीं रहा
शीशे की चमकदार सीढ़ी सा सुन्दर।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनुराधा सिंह