भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ की कुछ छोटी कविताएँ (3) / रचना श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
माँ तीज त्यौहार मौसम की
बातें करती है
व्रत उपवास पूर्णिमा कब है
बताती है
पिता बेकार बात करती हो कहते हैं
पर उनको पता नहीं
कि माँ मेरे चारों ओर
संस्कार फैला रही होती है