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माँ की तस्वीर / अखिलेश्वर पांडेय
Kavita Kosh से
यह मेरी माँ की तस्वीर है
इसमें मैं भी हूँ
कुछ भी याद नहीं मुझे
कब खींची गयी थी यह तस्वीर
तब मैं छोटा था
बीस बरस गुजर गए
अब भी वैसी ही है तस्वीर
इस तस्वीर में गुड़िया-सी दिखती
छोटी बहन अब ससुराल चली गयी
माँ अभी तक बची है
टूटी-फूटी रेखाओं का घना जाल
और असीम भाव उसके चेहरे पर
गवाह हैं इस बात के
चिंताएं बढ़ी हैं उसकी
पिता ने भले ही किसी तरह धकेली हो जिंदगी
माँ खुशी चाहती रही सबकी
ढिबरी से जीवन अंधकार को दूर करती रही माँ
रखा एक एक का ख्याल
सिवाय खुद के
मैं नहीं जानता
क्या सोचती है माँ
वह अभी भी गांव में है
सिर्फ तस्वीर है मेरे पास
सोचता हूँ
माँ क्या सचमूच
तब इतनी सुंदर दिखती थी