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माटी ! / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
माटी रो ईशर पूजीजै
माटी री गणगौर,
आग, पून, जळ, अंबर आं में
माटी है सिरमौर !
जीव जीनावर पांख पंखेरू
फळ फूलां रो रूंख,
देह धरावै जिवा जूण नै
मा माटी री कूख,
मरयै खप्यै नै, सड़यै गळ्यै नै
कुण दूजौ लै साम ?
तथाजुगत सगळां री करण
माटी रो ही काम,
सूरज चांद सितारा अणगिण
माटी रा आकार,
किण री खिमता जको नाप लै
माटी रो विस्तार ?