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माटी का गुणगान / नवीन कुमार सिंह

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जब तक हूँ मैं जिन्दा, मैं राष्ट्रगान करूंगा
झुककर तिरंगे का सदा सम्मान करूंगा
माँ भारती पुकार करके देख लेना तुम
तेरे लिए मैं शीश भी बलिदान करूंगा

इस माटी पे बीते मेरे बचपन औ' जवानी
इसमे मुझे मिलती मेरे पुरखों की निशानी
आजादी का सपना लिए शूली पे चढ़ गए
इसपर लिखी उन वीर शहीदों की कहानी

अपनी कलम से उनका मैं गुणगान करूंगा
झुककर तिरंगे का सदा सम्मान करूंगा
माँ भारती पुकार करके देख लेना तुम
तेरे लिए मैं शीश भी बलिदान करूंगा

पूरब नहीं जाना मुझे पश्चिम नहीं जाना
आँचल में तेरे मुझको ये जीवन है बिताना
अब स्वर्ग की भी कामना मुझको नहीं करनी
मुझको तो इस धरा को ही है स्वर्ग बनाना

तुझपर जन्म लूँ बस यही अरमान करूंगा
झुककर तिरंगे का सदा सम्मान करूंगा
माँ भारती पुकार करके देख लेना तुम
तेरे लिए मैं शीश भी बलिदान करूंगा