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मातृभूमि / लालसिंह दिल / प्रितपाल सिंह
Kavita Kosh से
प्यार का भी कोई कारण होता है ?
सुगन्ध की भी कोई जड़ होती है ?
सच का कोई हो ना हो
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता!
तेरे नीले पहाड़ों के कारण नहीं
न नीले जल के लिए
यदि ये बूढ़ी माँ के बालों जैसे
गहरे रंगे भी होते
तब भी मैं तुझको प्यार करता
इन दौलतों के खजाने
मेरे लिए तो नहीं
प्यार का कोई कारण नहीं होता
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता
खजानों के साँप तेरे गीत गाते हैं
तुझे सोने की चिड़िया कहते हैं ।