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मान नही अपमान बहुत है / आर्य हरीश कोशलपुरी
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मान नही अपमान बहुत है
भेंट नही अनुदान बहुत है
गाँव समूचा घोंटने ख़ातिर
एक प्रभो परधान बहुत है
यार नही है ज़ेब में पैसा
माँल सजा सामान बहुत है
ढंग नही बस माँग रहे हो
सीख के देखो तान बहुत है
मान सहित जो तुमने खिलाया
एक तुम्हारा पान बहुत है