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मायादार / ओम बधानी
Kavita Kosh से
मयादार आंखि सांकि,जिकुड़ि,मुखुड़ि मायादार
त्वी छै माया की अन्वार
खुटि पड़ी जथैं उथैं एैगे बसंत ऊं बाटा घाटौं
फुलार मौळ्यार ढुंगा माटा गारौं मा मायादार
त्वी छै माया की अन्वार
खत्यैनि मोती माणिक फुटिन जु द्वि बचन
अभागि रैगैन,पैगैन भग्यान रतन सि मायादार
त्वी छै माया की अन्वार
जगमग ह्वैगिन दिसा हंसिन उंठुड़ि,दांतुड़ि जु चम्म
चमकि चाल जिकुड़््यों मा ह्वैनि घैल कैल मायादार
त्वी छै माया की अन्वार
उतरि जाला चैक मेरा सूरिज, जून,गैणा अगास
ह्वै जालि दैणा जै दिन भग्यान तु मायादार
त्वी छै माया की अन्वार