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मालिक मकबूज़ा / सैयद शहरोज़ क़मर
Kavita Kosh से
मालिक-मकबूज़ा सी
शब्दों की बाज़ीगरी में मत उलझाओ
हमें ऑक्सीजन की बैसाखी
नहीं चाहिए
बकोर की स्निग्धता
चित्रकूट का संघर्श
तीरथगढ़ की शान्ति
और घोटूल का कलरव
लौटा दो हमें
हम, बस,
इत्ता-भर जानते हैं
जिसे तुम हमारा मुखिया
समझते हो
हम उन्हें नहीं मानते।
02.03.97