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मित्र / कल्पना मिश्रा

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तुम तन्हाई में मेरी परछाई हो
जुदाई में साँस की गहराई हो।
तुम गुलाब का फुल हो
तुम मेरे अनुकूल हो
तुम बारिश की पहली झड़ी
तुम पल पल का एहसास कराने वाली घड़ी
तुम दिल की पहली ख्वाहिश
तुम पूरी हुई कोई फरमाईष
तुम मेरी आस्था और विश्वास
तुम सदा हृदय के पास
तुम शक्ति मेरी साधना की
तुम भक्ति मेरी भावना की
तुम मेरे आत्मा की सच्चाई
तुम सबसे प्रिय रुबाई
तुम पवन का शीतल झोंका
तुम ईश्वर तक पहूँचने का एक मौका
तुम जिंदगी का सफर
तुम सुबह, तुम शाम, तुम चारों पहर
तुम अंधरे में रोशनी की तरह
तुम दवा हो,पर चाशनी की तरह
तुम मेरी उम्मीद हो जो टूटती नहीं
तुम सर्दी की धूप हो जो छूटती नही
तुम वो आँसू जो भरे मन से गिरता है
तुम वो मुस्कान जो मेरे होठों पे खिलता है
तुम बच्चे की खिलखिलाहट
तुम प्रेम की गर्माहट
तुम ईश्वर का भेजा गया कोई तारा
तुम दुनिया से जुझने का एक सहारा
तुम खुलेमन से गाया गया कोई गीत
तुम हार में भी, मेरी जीत
तुम इन्द्रधनुष का सात रंग,
तुम जीवन जीने की उमंग
मित्र तुम मित्र हो
केवल मित्र !!