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मिथिस्टोरिमा-2 / ग्योर्गोस सेफ़ेरिस

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मिथिस्टोरिमा : इस समास शब्द के बारे में सेफ़रिस का कहना है कि यह शब्द ’मिथ’ (मिथक) और ’हिस्ट्री’ (इतिहास) से मिलकर बना है।

अब क्योंकि तुम जा रहे हो, ले जाओ अपने साथ यह बच्चा
जिसने उस चिनार वृक्ष के नीचे प्रकाश देखा था
एक दिन जब तुरहियाँ बज रही थीं और बख़्तर चमक रहे थे
प्रस्वेदित अश्वों ने अपने सिर झुका रखे थे द्रोणिका पर
हरी सतह के ऊपर, पानी को
अपने गीले नथुनों से रगड़ते हुए ।

हमारे पिताओं की झुर्रियों वाले जैतून के वृक्ष
हमारे पिताओं की मेधा से युक्त चट्टानें
और धरती पर ज़िन्दा हमारे भाई का रक्त
एक पृथुल हर्ष थे एक मूल्यवान नियम-वचन
आत्माओं के लिए जो उनकी प्रार्थना समझ गई थीं ।

क्योंकि अब तुम जा रहे हो, अब अन्तिम समझौते
के दिन की सुबह में, क्योंकि अब कोई नहीं कह सकता
किसे वह मार देगा और कैसे वह अपने अन्त का सामना करेगा,
अपने साथ बच्चे को ले जाओ जिसने प्रकाश देखा था
चिनार की पत्तियों के नीचे
और उसे वृक्षों का अध्ययन करने की शिक्षा दो।