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मिनख रा चाळा / इंदिरा व्यास
Kavita Kosh से
धरती टसकै
देख-देख
मिनख रा चाळा
जिको है साव नागो
चावै नित नवों
पैरै बो गाभो
मिनखां में
मिनख रो रैवणों
भोत दोरो है
टैम टाळण
भलो माणस डरतो
धोकै देई-देवता
तक-तक आभो
मिनख बोलै
म्हें भी कदास
पंछी होंवता
भेळा चुगता
भेळा उडता
फेर तो
म्हारो ई होंवतो
सगळो आभो।