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मिली मञूं शुक्राना / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’

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मूं आहि मिलायो खीर में पाणी जाम
-गीह मं चर्ॿी
-माखीअ में ॻुडु
-खंडु में चूरो
-माए में मैदो
-मसचिटो कुल्फ़ीअ में
-कणिक में मिट्टी
-चांवरनि में पन्थरियूं
-मिर्चनि में पपीते जा कारा ॿिज
-धाणनि में बू/रो
-मेटु अटे पापड़ में
-कैचप में कदू
-हिंङ में लिॾि...

सभु हाणि हलो, मिली मञूं शुक्राना
केॾो न दयालू आ शंकर भोलो!