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मिस्टर के की दुनिया: पेड़ और बम-३ / गिरिराज किराडू

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सुबह एक पेड़ आपको अलविदा कहता है
शाम तक उसकी याद में मिट्टी भी आपके घर से उखड़ने को है
आप को याद नहीं रहा पिछले दो इतवार बेटे से मिलना
आप अगली बार जाते हुए उसके लिए एक हवाई जहाज ले जाने का इरादा पक्का करते हैं और आपको अपनी आखिरी हवाई यात्रा याद आ जाती है
एयरपोर्ट की दीवार पर कई पेड़ों की तस्वीरें थी आप घर लौटना नहीं चाहते थे
आपने सोचा यह जहाज आपको लेकर उड़े लेकिन कभी लैंड न करे पर आप बाकी दो सौ लोगों के बारे में भी सोच रहे थे जो आपकी तरह दो मिनट के नोटिस पर घर और दुनिया छोड़ने को तैयार नहीं थे
शायद

आपसे पेड़ ने अलविदा कहा
आपने सर झुका कर कहा तुम्हारे बिना यह दश्त है
ऐसे रहने से तो अच्छा है मैं मानव नहीं बम हो जाऊं और
किसी की चुनाव रैली में गिरूं
तभी आपका फोन बजा और बेटे ने कहा
आप जैपुर आ जाओ हम मज़ाकी करते हैं
शेर देखके वो नहीं रोएगी रे
अरे नहीं रोएगी रे