भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मीरा मगन भई हरि के गुण गाय / मीराबाई
Kavita Kosh से
राग खम्माच
मीरा मगन भई हरि के गुण गाय॥
सांप पिटारा राणा भेज्या, मीरा हाथ दिया जाय।
न्हाय धोय जब देखन लागी, सालिगराम गई पाय॥
जहरका प्याला राणा भेज्या, इम्रत दिया बनाय।
न्हाय धोय जब पीवन लागी, हो गई अमर अंचाय॥
सूली सेज राणा ने भेजी, दीज्यो मीरा सुवाय।
सांझ भई मीरा सोवण लागी, मानो फूल बिछाय॥
मीरा के प्रभु सदा सहाई, राखे बिघन हटाय।
भजन भाव में मस्त डोलती, गिरधर पर बलि जाय॥
शब्दार्थ :- इम्रत = अमृत।अंचाय =पीकर। बलि जाय =न्योछावर होती है।