भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुकरी-1 / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
खावै सें मतलब भरपेट्टा
टानै छै, जतना रग-चेट्ठा
चलै झुण्ड में बान्ही पाँती
के बरियाती ?
नै रे-हाथी ।