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मुझको पुकारती हुई पुकार खो रही है / कर्मानंद आर्य

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विवेकानंद हास्पिटल के एक कमरे में मृत्यु से जूझते अपने पिता से

इन दिनों
देर तक चुप रहने का मन कर रहा है
एकांत नहीं मिल रहा है
तुम कम बोल रहे हो
यही बात तुम्हारी बुरी लगती है
जानता हूँ
दुःख में बोलना कम कर लेते हैं लोग

रोये तो तुम कभी नहीं
न रोने को कहा

डॉक्टर कहता है दवाई असर नहीं कर रही
इसलिए
धीरे धीरे जा रही है तुम्हारी आवाज
पर जानता हूँ
डॉक्टर झूठ बोल रहा है

अब तुम सुनना चाहते हो
इसलिए बोलना कम कर दिया है