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मुझको भी संसार मिला है / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
मुझको भी संसार मिला है।
जिन्हें पुतलियाँ प्रतिपल सेतीं,
जिन पर पलकें पहरा देतीं,
ऐसी मोती की लड़ियों का मुझको भी उपहार मिला है।
मुझको भी संसार मिला है।
मेरे सूनेपन के अंदर
हैं कितने मुझ-से नारी-नर!
जिन्हें सुखों ने ठुकराया है मुझको उनका प्यार मिला है।
मुझको भी संसार मिला है।
इससे सुंदर तन है किसका?
इससे सुंदर मन है किसका?
मैं कवि हूँ मुझको वाणी के तन-मन पर अधिकार मिला है।
मुझको भी संसार मिला है।