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मुठभेड़ / ईगर सीद / अनिल जनविजय

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तारों भरी रात में
उत्तर-पश्चिम की दिशा से भारत के क़रीब पहुँचते हुए
विमान में दाईं तरफ़ मैं
खिड़की के पास बैठा हुआ था
और खिड़की से सिर टिकाकर बाहर झाँकते हुए
मैं मोहित होकर देख रहा था
चुपचाप
यूरेशिया बह रहा है
मेरे रास्ते के आर-पार।

भारतीय उपमहाद्वीप
महासागर की हिलोरों के पार
हमारी ओर बढ़ रहा है
साल में क़रीब एक सेण्टीमीटर से भी ज़्यादा गति से —
उत्तरी टुकड़ा
असामयिक रूप से मृत सुपरमहाद्वीप का
जिसका रोमांचक भारतीय नाम है
गोण्डवाना ।

बढ़ रही दुनिया का सिद्धान्त पीड़ादायक है
अफ़्रीका पश्चिम की तरफ़, आस्ट्रेलिया पूरब की तरफ़,
अण्टार्कटिक दक्षिण की तरफ़
बेहूदा और क्रूर झगड़ों के कारण हैं
धुआँरहित, विवेकहीन, बेघर टुकड़े ।

सिर्फ़ मेडागास्कर ही दुनिया के बीचोबीच लटका हुआ है
उस महाविस्फोट बिग बैंग के प्रत्यक्षदर्शी के रूप में ।

ये सब हमारे परिवेश में घटा था,
सात करोड़ साल पहले
ठीक-ठीक जानने के लिए डायरी में लिखी प्रविष्टियों को देखना होगा।
ब्रह्मा ने तब तक रचना नहीं की थी मनुष्य की,
असुरों की और देवों की,
महानाग मन्थन करते हुए
सागर को बान्ध नहीं पाए थे। और अभी ... मन्थन जारी था

लीजिए, यह हिन्दुस्तान है
एक शानदार विमानवाहक पोत के रूप में
ढँके हुए सोए हुए ड्रेगनों, सरीसृपों के साथ
और शान्त मण्डराते हुए विशालकाय टिड्डों के साथ
क़रीब आ रहा है फहरे हुए केसरिया, सफ़ेद और हरे झण्डे के साथ
जिसके सामने वाले डैक पर
बड़े उत्साह से झूल रहे हैं कुछ बेहद प्राचीन जानवर
फ़ूलों के साथ अपनी पूँछों को उठाए
खिड़की के शीशे पर धुन्ध जम गई है
साफ़-साफ़ कुछ दिखाई नहीं दे रहा...

अगर मैं कुछ पहले ही यहाँ आ गया होता – तो मुझे इसका मूल कारण मालूम होता ।

अपनी उड़ान के लिए कभी देर से न पहुँचिए
नहीं तो मन में सारी ज़िन्दगी बनी रहेगी
पिछली उड़ान के यात्रियों से ईर्ष्या ।

हमारा विमान अभी पामीर के ऊपर ही उड़ रहा था
जब वो अन्तरिक्ष घोष हमारे केबिन में घुस आया था
आख़िरकार महाद्वीप से टकरा गया था हिन्दुस्तान
एशियाई मैदान को उड़ाते हुए
हिमालय की महान सिलवटों के समक्ष

नमस्कार भारत !
तुम मुझे एक द्वीप के रूप में नहीं मिले
मैं उस टकराव को रोक नहीं पाया
मैं नहीं समझ पाया कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है
यहाँ तक कि विडियो बनाना शुरू नहीं कर पाया
मैं ख़ुद को एक बौड़म और असहाय पर्यटक के रूप में महसूस कर रहा हूँ
जिसका अभियान एक यात्रा में बदल गया
और जिसे बाद में पूरी तरह से रद्द कर दिया गया
क्योंकि नहीं थे भौगोलिक मानचित्र
जिसको ढूँढ़ने वाला कोई नहीं था
क्योंकि हमारी पृथ्वी अभी भी इतनी निर्जन है
कि हमारे महाद्वीप भटक रहे हैं नियन्त्रण के अभाव में
मैंने सब छोड़ दिया
मुझे वापिस जाना है ।

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी में पढ़िए
                 Игорь Сид
                  Инцидент

Звёздной ночью,
подлетая к Индии с северо-запада,
я сидел у иллюминатора справа
и уткнувшись лбом, зачарованно смотрел,
как огромная гористая страна
бесшумно наплывает на Евразию с юга
наперерез моему маршруту.

Остров Индостан,
рассекая океанскую зыбь,
мчался к нам по глобусу
со скоростью больше сантиметра в год –
северный обломок
безвременно погибшего суперконтинента
с волнующе индийским именем
Гондвана.

Теория расширяющейся Вселенной – это больно.
Африка на запад, Австралия на восток,
Антарктида на юг:
нелепый, жестокий раздор...
Бездымные, бездумные,
бездомные осколки.

И лишь Мадагаскар завис в эпицентре
онемевшим свидетелем Большого взрыва.

Всё это было в среду, 70 миллионов лет назад,
надо просмотреть записи в ежедневнике.
Ещё не создан Брахмой человек,
и даже асуры и дэвы,
вхолостую вращая великого змея,
не успели спахтать океан. Всё ещё...

Но вот Индостан,
как торжественный авианосец
с зачехлёнными спящими птеродактилями
и тихо вибрирующими гигантскими стрекозами,
приближается с поднятым
шафранно-бело-зелёным флагом,
а по краю передней палубы,
возбуждённо размахивая
сорванными цветами и задранными хвостами,
скачут какие-то очень древние зверюшки –
точнее не разглядеть,
стекло запотело...

Вылети я чуть раньше – знал бы первопричину.

Никогда не опаздывайте на свой самолёт.
Иначе темой всей вашей жизни может стать
зависть к пассажирам предыдущего рейса.

Аэробус был ещё над Памиром, когда
космический грохот проник внутрь салона:
Индостан врезался наконец в континент,
вздымая азиатскую равнину перед собой
величественными складками
Гималаев.

Здравствуй, Индия!
Я не застал тебя островом.
Я не смог предотвратить столкновение,
не разобрался, что и почему происходит,
не успел даже включить видеозапись,
я чувствую себя беспомощным тупым туристом,
чья экспедиция превратилась в экскурсию,
а потом была вообще отменена
за отсутствием географической карты,
которую просто некому было изобрести,
ведь планета ещё настолько безлюдна,
что материки странствуют без управления,
я всё пропустил,
мне пора обратно
2019