भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुश्किल यह है / भारत भूषण अग्रवाल
Kavita Kosh से
मुश्किल यह है कि मैं
ज़िंदगी को एक इमारत की तरह गढ़ना चाहता था
एक नक्शे के अनुसार
और क्योंकि नक्शा
हर कलैण्डर के साथ बदलता गया
इसलिए हर बार अधबनी इमारत में
तोड़फोड़ करनी पड़ी