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मुस्तक़बिल / मख़दूम मोहिउद्दीन

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मुस्तक़बिल<ref>भविष्य</ref>

चला आ रहा है चला आ रहा है
चला आ रहा है चला आ रहा है ।

        धड़कते दिलों की सदा आ रही है
        अँधेरे में आवाज़े पा<ref>पैर की आवाज़</ref> आ रही है
        बुलाता है कोई निदा<ref>आह्वान</ref> आ रही है ।

चला आ रहा है चला आ रहा है
चला आ रहा है चला आ रहा है ।

        न सुलतानी-ए-तीरगी है न जारी
        न तख़्ते सुलेमाँ न सरमायादारी
       ग़रीबों की चीख़ें न शाही सवारी ।

चला आ रहा है चला आ रहा है
चला आ रहा है चला आ रहा है ।

        उड़ाता हुआ परचमे ज़िंदगानी
        सुनाता हुआ एहदे नौ<ref>नवयुग</ref> की कहानी
        जिलू<ref>सामने</ref> में ज़फ़रमन्दियाँ<ref>सफ़लताएँ</ref> शादमानी<ref>ख़ुशी से भरी हुई</ref>

चला आ रहा है चला आ रहा है
चला आ रहा है चला आ रहा है ।

        सफीना<ref>नाव</ref> मसावात<ref>समानता</ref> का खे रहा है
        जवानों से कुर्बानियाँ ले रहा है
        ग़ुलामों को आज़ादियाँ दे रहा है ।

चला आ रहा है चला आ रहा है
चला आ रहा है चला आ रहा है ।

शब्दार्थ
<references/>