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मूँछें-2 / ध्रुव शुक्ल
Kavita Kosh से
मेरी मूँछें देखकर उसके पिता
मेरे पिता के पास आये और बोले--
अपने बेटे का हाथ
मेरी बेटी के हाथ में दे दो
उनकी बेटी देखकर मेरे पिता ने
मेरा हाथ
उनकी बेटी के हाथ में दे दिया
दोनों गले तक भर गए
उसके पिता मेरे पिता
बोले-- अपन तो तर गए
वह मुझे एकटक देख नहीं पा रही है
मैं अपनी मूँछों पर चकित हूँ