भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मूरखा नौकर के की करतूत / छोटे लाल मंडल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुरखा नौकर के की करतूत
स्वामी जी के सेवा में छेलै भूत,
गरमी हवा वतासों में देखो
पंखा झेलै में छैलै मजवूत।

जै मांछी वैठलै आंखी पर
तवे वीना डोलाय छै नांकी पर,
जब मक्खी वड़ी तंग करै छै
तव पंखा मारै छै जोखी के।

जन सिनी मांछी भागी गेलै
पंखा कांनी पर वरसी गेलै।
वही गेलै लहहू के धार,
स्वामी जी नें करै चितकार।

वाज आवै कोय ऐन्हों नोकर सें
मुरखा केरो करतूती पर।
आंखो कान कपारो फुटलै
जीवन भर ताय यादो कर।

पंडित कोय भी शत्रु हुवे
तौ भीनै करै एन्हो घ्ज्ञात,
मतर मुरखा से वचीके रहियौं
कखनी करतौ प्राण सपाट।

साखी- मंदमति के की छै ठिकानों आप चलै आरौ के साथ,
दुविधा सुविधा एकै रंक नै छै तीत्तो नै कषाय।