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मूल्य / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
एहि घोर कलिजुगमे सेहो
स्त्रीक मूल्य अमूल्य होइत छै
केओ नहि लगा सकतै मूल्य
कहियो।
जहिना कारीगर वस्तुक मरम्मति कऽ बन दैछ
उपयोगी
स्त्री सेहो
कारीगर जकाँ
खिन्न मोनकें मरम्मति करिते रहैत अछि
मोनक एक-एकटा तारकें
जोड़ैत रहैत अछि
ओकरा बूझल रहैत छैक
कोन तार
ककरासँ जुड़ल छै।