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मृत्यु आ मृत्यु / महाप्रकाश
Kavita Kosh से
घरमे खिड़की।। खिड़की मे
एक जोड़ी प्रतीक्षारत आँखि आ
दू टा ठोर।। ठोरमे बंसती मुस्की
मुस्कीमे हमरा ललेल प्रेम आ
प्रेममे एकटा श्रद्धा।। एकटा मनु
एकटा इड़ा।। इड़ामे कामना आ
कामनामे हमर मृत्यु।। एहि मृत्युमे
शून्य।। नीलवर्ण शून्य।। एहि
शून्यमे ब्रह्माण्ड।। आ ब्रह्माण्डमे
एकटा घर।। घरमे खिड़की।।
खिड़कीमे जोड़ी भरि प्रतीक्षारत
आँखि।। आ आँखिमे आकास
आकासमे पसरल नक्षत्र-माला
नक्षत्र-मालामे ज्योति।। ज्योतिमे
ईश्वर।। ईश्वरमे हमर चिर-याचित
मृत्यु।। आ मृत्युमे चिर मुक्ति।