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मृत्यु का जीवन / आभा पूर्वे

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बवंडर आता है
उखड़ जातेे हैं पेड़
उखड़ जाता है
बसाया हुआ वन
धरती पर गिरे
घोसलों को देख
बेचैनी में
रोते मंडराते हैं पक्षी
विनाश की एक सर्द छाया
पसर जाती है चारो ओर
और तब
इसी विनाश की कोख से
जनमता है एक महाकाव्य ।