मृत्यु से पहले मृतक / क्रिस्टीना रोजेटी
ओह! परिवर्तन और अकेलापन, कितना बदलाव और कितना अकेलापन !
सूखी पपड़ाई मुस्कान और निर्जन अकेली आँखों के साथ;
बदले हुए, फिर भी वही, बहुत कुछ परिचित से,
थोड़े बहुत परिचित से;
यह जीवन की गोधूली के बेला का वादा था !
हम अतीत के साँचों में तनतनाते हुए अकड़ते हुए बढ़ते रहे,
जीवन भर के झूठ छाया से जड़ता की परछाईं बनाते रहे,
हमने आने वाले बरसों में अच्छे दिनों के आने की उम्मीद की,
मगर वे तो रहे राजा और रानी की बीती कहानी की तरह,
समय के साथ वे आस की बंजर पंखुड़ियाँ बनते गए,
खोता गया वर्तमान और हमारा आने वाला कल,
सब कुछ खो गया, हथेली से रेत की तरह फिसलता रहा,
इतना खोया जब तक मृत्यु ने बन्द न कर लिया खुले दरवाज़े को,
भंगुर झंकार से सदाबहार झंकार तक,
इतना निर्जन और खो गया हमेशा के लिए....
सदा के लिए ....
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोनाली मिश्र
और अब पढ़िए कविता मूल अँग्रेज़ी में
Dead Before Death
Ah! changed and cold, how changed and very cold!
With stiffened smiling lips and cold calm eyes:
Changed, yet the same; much knowing, little wise;
This was the promise of the days of old!
Grown hard and stubborn in the ancient mould,
Grown rigid in the sham of lifelong lies:
We hoped for better things as years would rise,
But it is over as a tale once told.
All fallen the blossom that no fruitage bore,
All lost the present and the future time,
All lost, all lost, the lapse that went before:
So lost till death shut-to the opened door,
So lost from chime to everlasting chime,
So cold and lost forever evermore.