मेघन्नोॅ दिन / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
मेघोॅ सें भरलोॅ छै आसमान, सूरज नुकैलोॅ छै भासमान,
तितलोॅ छै, धरती के तापमान तिलोॅ छै!
हरियाली बागोॅ बगीचा में, रस्ता में बाटोॅ में कूचा में,
बिछलोॅ छै, धरती समूचा में बिछलोॅ छै।
पोखर टपाटप छै पानी सें, उपटै छै गड़िया रवानी सें,
भरलोॅ छै, मानोॅ जवानी सें भरलोॅ छै।
बरसा की ऐलै बुढ़ापा में जौवन सन कोयनी छै आपा में
बहलोॅ छै, दरिया अपनापा के बहलोॅ छै!
रातीं अकाशोॅ में नाँचै छै चान जबेॅ प्राणोॅ केॅ हाँचै छै
बितलोॅ कहानी सब बाँचै छै;
ताकै छै मेघोॅ के फाँकी सें
नीला चुनरिया उघारी केॅ मानोॅ जे
नेतोॅ कोय दै रल्छै आँखी सें।
भोरोॅ में तारा सब भाँसै छै नींदोॅ में ऊँघै छै, खाँसै छै
भीतरहै सें पूबोॅ में हाँसै छै-सूर्योदय!
झाँपलोॅ सेमारोॅ में कमलोॅ पर झलकै छै ओसोॅ के बून,
जेना घोघो के भितरोॅ में घामोॅ-पसीना सें
भरलोॅ छै मूँ केकरो।
भरलोॅ छै मेघोॅ सें आसमान, सूरज नुकैलोॅ छै भासमान
लागै छै, धरती के तापमान तितलोॅ छै!