भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा घर, उसका घर / आग्नेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक चिड़िया
प्रतिदिन मेरे घर आती है
जानता नहीं हूँ उसका नाम
सिर्फ़ पहचानता हूँ उसको
वह चहचहाती है देर तक
ढूँढती है दाने :
और फिर उड़ जाती है
अपने घर की ओर
पर उसका घर कहाँ है?
घर है भीउसका
या नहीं है उसका घर?
यदि उसका घर है
तब भी उसका घर
मेरे घर जैसा नहीं होगा
लहूलुहान और हाहाकार से भरा
फिर क्यों आती है
वह मेरे घर
प्रतिदिन चहचहाने