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मेरी कविताओं की डायरी / अरुण कुमार नागपाल
Kavita Kosh से
मेरी कविताओं की डायरी में
बंद पड़े हैं
कुछ पुराने फूल
कालेज के ज़माने के
एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है
मेरी कविताओं की डायरी
पिंडोरा बाक्स है
एक ख़ज़ाना है
कविताओं की कानें है इस डायरी में
जिसे खोदने पर मिलते हैं
बहुमूल्य हीरे-जवाहरात
रत्न-पन्ने
मोती माणिक्य
जिसमे क़ैद हैं बहुत से अनुभव
अनुभूतियाँ, भावनाएँ
भीगी कोमल यादें
एक निशानी है
अपनों की
एक याद है
गु़ज़रे हुए ज़माने की
बीते हुए दिनों की
अतीत है यह मेरा
अल्लादीन का चिराग है
बर-बार पढ़ने से जिसे
मिलते है नये अर्थ