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मेरी गुड़िया / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
मेर गुड़िया बड़ी सयानी,
छम-छम माँग रही है पानी।
नन्हे-नन्हे हाथ उठाकर
थोड़ा पैरों को ठुमकाकर।
दिखा रही है नाच सजीला,
लहरा करके आँचल नीला।
नैन-नक्श की प्यारी है यह,
मन की राजकुमारी है यह।
क्या हुआ यदि है यह काली,
दिल की तो है भोली-भाली।