मेरी बात / कार्ल सैण्डबर्ग / शुचि मिश्रा
जैसे समन्दर की चट्टान पर
हरी काई और लाल बेर हैं
चीड़ के पठार पर
वैसे ही तुम्हारी स्मृतियाँ हैं
मेरे पास
मुझे बताओ कि मेरे ना होने पर
दिन पहाड़-सा हो जाता है
रेंगता है धीरे-धीरे
क्या शूल की तरह
चुभती है हृदय में टीस
मुझे पता है जैसे
दुर्दिन में किसी भिक्षुक का पात्र
ज्यों एक हाथ कटे हुए सैनिक की आस्तीन
मुझे यह सब बताओ
... बात करो ना मुझसे !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा
अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Carl Sandburg
Home Thoughts
THE SEA rocks have a green moss.
The pine rocks have red berries.
I have memories of you.
Speak to me of how you miss me.
Tell me the hours go long and slow.
Speak to me of the drag on your heart,
The iron drag of the long days.
I know hours empty as a beggar’s tin cup on a rainy day,
empty as a soldier’s sleeve with an arm lost.
Speak to me …