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मेरे गीत चले आओ ना / कमलेश द्विवेदी

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मेरे गीत चले आओ ना फिर तुमको बाँहों में भर लूँ।
अर्थ सँजो लूँ अंतरतम में शब्द-शब्द अधरों पर धर लूँ।

जब भी तुम मिलते हो मुझसे
मैं कितना मुखरित हो जाता।
मेरे मन की वीणा का फिर
तार-तार झंकृत हो जाता।
मेरे गीत चले आओ ना फिर वीणा में सुमधुर स्वर लूँ।
मेरे गीत चले आओ ना फिर तुमको बाँहों में भर लूँ।

जब-जब भी मैं देखूँ तुमको
रूप मुझे मेरा दिख जाये।
जैसे कोई दर्पण देखे
उसमें अपनी ही छवि पाये।
मेरे गीत चले आओ ना फिर मैं सज लूँ और सँवर लूँ।
मेरे गीत चले आओ ना फिर तुमको बाँहों में भर लूँ।

कब से राह निहार रहा हूँ
क्या तुमको इसकी सुधि आई.
बिना तुम्हारे इस जीवन में
है कितनी नीरसता छाई.
मेरे गीत चले आओ ना फिर जीवन को रसमय कर लूँ।
मेरे गीत चले आओ ना फिर तुमको बाँहों में भर लूँ।