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मेरे टांडै मैं सोला सै राणी / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरे टांडै मैं सोला सै राणी
पर तेरै सिकल की नहीं सै
तैं तो चाल मेरे ए टांडे मैं राणी
ओड़ै बिछ रहे पिलंग जरी के
तेरे आग लागै टांडै कै जले
बल जाइयो हो पिलंग जरी के
तेरी गठड़ी में दाम कोन्या जले
तैं तो ठगदा फिरै सै जगत नै
मेरी गठड़ी मैं दाम भतेरे
दिन छिपदे ए ले ल्यूंगा फेरे
पर तिरिआ ना अपणी होवै नार
चाहे कितणे ए लाड लडाले
काग्गा ना हंसा होवै जले
चाहे चारों बेद पढाले