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मेरे नाम की पुस्तक / निदा नवाज़
Kavita Kosh से
आज मैंने फिर
वह पुस्तक खोली
जो समय की गर्द से
अटी पड़ी थी
और उलझ गया
उसके पन्नों में
पहले ही पन्ने पर
मोटे अक्षरों में
लिखा है
दुर्घटना शब्द
सब से बड़ी दुर्घटना
इस पुस्तक का आरम्भ
इसका जन्म
और फिर हर पन्ने पर
दुःख भरी कहानियाँ
मार-धाड़ भावनाओं की
आत्महत्या इच्छाओं की
शायद संसार की
सब से दुखी पुस्तक
जो केवल रुलाती है
हंसती कभी नहीं
हर पन्ने पर
पढ़ने वाले ने
अपनी उँगलियों के
चिन्ह छोड़ दिए हैं
इस पुस्तक के पन्ने
आंसुओं के अक्षरों से लिखे हुए
प्रत्येक पन्ने पर
दुःख,दर्द और घाव
और यह पुस्तक
इस संसार के
पुस्तक भंडार में
मेरे नाम की पुस्तक है
स्वयं मैं।