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मेरे राम मुझे अपना लेना / बिन्दु जी
Kavita Kosh से
मेरे राम मुझे अपना लेना।
दुखी दीन को दास बना लेना।
ठोकरें खाईं बहुत झूठे जगत के प्यार पर।
इसलिए आये हैं सीतापति तुम्हारे द्वार पर।
अब मुझे तारो न तारो यह तुम्हारे हाथ है।
गर न तारोगे तो बदनामी तुम्हारी नाथ है।
जरा नाम की लाज बचा लेना॥ मेरे राम...
नीच गणिका गज अजामिल कि खबर ली आपने।
भक्ति द्वारा भीलनी भी मुक्त कर दी आपने॥
भक्त कितने आप पर जीवन निछवर कर गये,
नाम लेकर आपका पापी हजारों तर गये।
उन्हीं अधमों के साथ मिला लेना॥ मेरे राम...
काम क्रोधादिक लुटेरों का हृदय में वास है,
पातकों का बोझ है अधमों की संगति पास है।
पवन माया की चली है भ्रम भंवर रहता है साथ।
बीच भवसागर में बेड़ा ‘बिन्दु’ का बहता है नाथ।
मुझे धार के पार लगा लेना॥ मेरे राम...