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मैं एक काली औरत हूँ / गुन्नार एकिलोफ़
Kavita Kosh से
मैं एक काली औरत हूँ
बाँहों में लिए हुए एक गोरा बच्चा
सो जा ! सो जा !
सो जा ! मेरे नन्हे ! सो जा !
लेकिन तू है...
क्या तुझे चाहिए स्तन ?
सो जा, सो जा
मैं रोती हूँ तेरे वास्ते
मर रहा है गोरा बचा,
मर गया है गोरा बच्चा,
कुछ नहीं पड़ता मेरे पल्ले
गोरा बच्चा नहीं करना चाहता है स्तनपान
मैं अपने पेट से चिपटा तुझे दूंगी गरमाहट
झुलाऊंगी बाहों में झूला
चूमूंगी तुम्हारी आँखें एक के बाद दूजी
देखने को कि तुम खोलो उन्हें !
मैं कुछ समझ नहीं पाती,
बच्चा मर गया है
मैं, एक सीधी-सादी महिला, आख़िरकार
क्या करूँ इस गोरे बच्चे का ?
इसे दफ़नाने तक का नहीं मुझे अधिकार
-उधर देखो, दूर हटो, तुम कुत्ते कहीं के !
तुम समझते नहीं कुछ भी ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना