मत खींच मेरे सामने
हमारे बीच सरहद
मेरी मुखर वेदना
कल तेरी अन्तर्वेदना
बन जाएगी
मैं जार-जार बिलख सकता हूं
तू सिसकी भी नहीं भर पाएगा
ओझल नहीं होंगे
हम-तुम
पर यह सीमा
मेरी लाचारी बन जाएगी।
मत खींच मेरे सामने
हमारे बीच सरहद
मेरी मुखर वेदना
कल तेरी अन्तर्वेदना
बन जाएगी
मैं जार-जार बिलख सकता हूं
तू सिसकी भी नहीं भर पाएगा
ओझल नहीं होंगे
हम-तुम
पर यह सीमा
मेरी लाचारी बन जाएगी।