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मैं जिसे ढूंढा किया हर सू वो मेरे दिल में है / ईश्वरदत्त अंजुम

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मैं जिसे ढूंढा किया हर सू वो मेरे दिल में है
मैंने जिस दिलबर को चाहा वो इसी महफ़िल में है

कर गया हम से किनारा और जुदाई दे गया
उसको क्या मालूम क्या कोई किस क़दर मुश्किल में है

देखिये अब दार मिलती है हमें या उसका दर
कामयाबी इस की अब जज़्बा-ए-कामिल में है।

मंज़िलें सब तय हुई और अब कोई मंज़िल नहीं
प्यार मेरा अब तो अंजुम आखिरी मंज़िल में है